स्वतंत्रता के समय राजस्थान की स्थिति




        राजस्थान शब्द
Ø  सन 1800 में जार्ज थॉमस ने इस क्षेत्र को ‘राजपुताना’ नाम दिया |
Ø  जेम्स टॉड  ने इसका नाम ‘रायथान’ रखा |
Ø  1829 में कर्नल जेम्स टॉड की पुस्तक ‘एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ़ राजस्थान’ में पहली बार इस क्षेत्र को राजस्थान शब्द से संबोधित किया |
Ø  25 मार्च 1948 को राजस्थान शब्द का पहली बार प्रयोग इस क्षेत्र के लिए किया गया |


स्वतंत्रता के समय राजस्थान की स्थिति –
Ø  भारत का वायसराय/ गवर्नर जनरल– लार्ड माउन्टबेटन|
Ø  देशी रियासतों का भी यह अधिकार सुरक्षित रखा गया की वे भारत संघ में विलय हो या पाकिस्तान में मिले अथवा स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दे |
Ø  रियासती विभाग – 5 जुलाई 1947 को वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में गठित किया गया | वी.पी. मेनन को सचिव बनाया गया |
Ø  जोधपुर के राजा हनुवंत सिंह अपनी रियासतों को स्वतंत्र रखना चाहते थे |
Ø  वी.पी. मेनन व लॉर्ड माउन्टबेटन ने जोधपुर रियासत को 10 अगस्त 1947 को भारत संघ में मिलाया |
Ø  स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 3 श्रेणी के राज्य थे –
·         ‘ए’ श्रेणी – बिहार, बम्बई, मद्रास- इनका प्रमुख राज्यपाल (गवर्नर) होते थे | 
·         बी श्रेणी – राजस्थान, मध्यप्रदेश, मध्य भारत – इनके प्रमुख राजप्रमुख होते थे |
·         सी श्रेणी – अजमेर, दिल्ली, आदि चीफ कमिश्नर प्रान्त आते थे | इनके प्रमुख AGG होते थे |
Ø  ‘राजस्थान यूनियन’ का गठन करने के लिए मेवाड़ महारणा ने 25-26 जून 1946 को उदयपुर में राजपुताना, गुजरात, मालवा के नरेशो का सम्मलन बुलाया |
·         भारतीय संविधान परीषद में मेवाड़ से भेजे जाने वाले प्रतिनिधि सर टी.वी. राघवाचारी व माणिक्यलाल वर्मा थे |
·         जोधपुर से सी.एस. वैंकटाचारी व जयनारायण व्यास |
Ø  संविधान निर्मात्री परिषद् में सर्वप्रथम अपना प्रतिनिधि बीकानेर ने भेजा था|
Ø  15 अगस्त 1947 में राजपुताना की स्थिति  –
1)       19 देशी रियासते – अलवर, भरतपुर, करौली, धोलपुर, कोटा, झालावाड, बूंदी, टोंक, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाडा, किशनगढ़(अजमेर),शाहपुरा (भीलवाडा), मेवाड़, जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर, बीकानेर, सिरोही |
2)       3 ठिकाने :- नीमराना (अलवर), कुशलगढ़ (बांसवाडा), लावा (जयपुर) |
3)       चीफ कमिश्नरी प्रान्त :- अजमेर – मेरवाडा |

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